BESCHLUSS
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25
|
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Juli
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Strafsache
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Betrugs
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1
|
|
.
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Strafsenat
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|
Bundesgerichtshofs
|
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hat
|
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25
|
|
Juli
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|
beschlossen
|
|
:
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Revision
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|
Angeklagten
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wird
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|
Urteil
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|
Landgerichts
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29
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|
November
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|
betrifft
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|
Feststellungen
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aufgehoben
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|
.
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|
Umfang
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|
wird
|
|
Sache
|
|
neuer
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|
Verhandlung
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|
Entscheidung
|
|
auch
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|
Kosten
|
|
Rechtsmittels
|
|
andere
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Strafkammer
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|
Landgerichts
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zurückverwiesen
|
|
.
|
|
Gründe
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:
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|
Angeklagte
|
|
wurde
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|
Betrugs
|
|
Fällen
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|
Gesamtfreiheitsstrafe
|
|
verurteilt
|
|
weiterer
|
|
Angeklagter
|
|
Urteil
|
|
angefochten
|
|
hat
|
|
Begünstigung
|
|
Geldstrafe
|
|
.
|
|
Revision
|
|
hat
|
|
Sachrüge
|
|
Erfolg
|
|
§
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|
Abs.
|
|
.
|
|
1
|
|
.
|
|
Angeklagte
|
|
war
|
|
mißglückte
|
|
Geldanlagegeschäfte
|
|
hoch
|
|
verschuldet
|
|
.
|
|
vermittelte
|
|
"
|
|
Vorspiegelung
|
|
irrealer
|
|
Anlagegewinne
|
|
"
|
|
Geldanlagen
|
|
Geschädigten
|
|
Beträge
|
|
meist
|
|
fünfstelliger
|
|
Fällen
|
|
aber
|
|
auch
|
|
sechsstelliger
|
|
Höhe
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|
überließen
|
|
.
|
|
unverjährter
|
|
Zeit
|
|
legte
|
|
Gelder
|
|
überhaupt
|
|
mehr
|
|
verwendete
|
|
Schuldentilgung
|
|
Strafkammer
|
|
so
|
|
bezeichneten
|
|
"
|
|
"
|
|
.
|
|
War
|
|
zunächst
|
|
etwa
|
|
DM
|
|
verschuldet
|
|
so
|
|
belaufen
|
|
Schulden
|
|
inzwischen
|
|
etwa
|
|
Millionen
|
|
DM
|
|
.
|
|
2
|
|
.
|
|
Reihe
|
|
Fällen
|
|
handelt
|
|
"
|
|
Wiederanlagefälle
|
|
"
|
|
.
|
|
Angeklagte
|
|
hatte
|
|
Geschädigten
|
|
veranlaßt
|
|
fällige
|
|
Zahlungen
|
|
verzichten
|
|
Kapital
|
|
angeblich
|
|
angelaufenen
|
|
Zinsen
|
|
erneut
|
|
anzulegen
|
|
.
|
|
Hier
|
|
läge
|
|
Betrugsschaden
|
|
nur
|
|
dann
|
|
Gläubiger
|
|
erneuten
|
|
Täuschung
|
|
realistische
|
|
Möglichkeiten
|
|
Durchsetzung
|
|
bisherigen
|
|
Forderungen
|
|
verzichtet
|
|
hätten
|
|
.
|
|
Andernfalls
|
|
wäre
|
|
schon
|
|
zuvor
|
|
entstandene
|
|
Schaden
|
|
weiter
|
|
vertieft
|
|
worden
|
|
.
|
|
.
|
|
vgl.
|
|
nur
|
|
;
|
|
498
|
|
;
|
|
Urteil
|
|
1
|
|
.
|
|
Dezember
|
|
.
|
|
Wiederanlagefällen
|
|
derartige
|
|
Möglichkeiten
|
|
bestanden
|
|
hätten
|
|
versteht
|
|
Vermögensverhältnisse
|
|
Angeklagten
|
|
selbst
|
|
folgt
|
|
auch
|
|
meist
|
|
verhältnismäßig
|
|
geringfügigen
|
|
Rückzahlungen
|
|
anderen
|
|
Fällen
|
|
Urteilsgründen
|
|
konkret
|
|
ergeben
|
|
vgl.
|
|
z.B.
|
|
Fälle
|
|
Nr.
|
|
Geschädigte
|
|
Anlage
|
|
DM
|
|
Rückzahlung
|
|
DM
|
|
Anlage
|
|
DM
|
|
Rückzahlung
|
|
DM
|
|
erhielt
|
|
.
|
|
3
|
|
.
|
|
übrigen
|
|
Fällen
|
|
sieht
|
|
Senat
|
|
Bestätigung
|
|
auch
|
|
sehr
|
|
maßvollen
|
|
Einzelstrafen
|
|
Unklarheiten
|
|
bezüglich
|
|
Konkurrenzen
|
|
gehindert
|
|
.
|
|
So
|
|
wird
|
|
Fällen
|
|
schon
|
|
deutlich
|
|
selben
|
|
Geschädigten
|
|
selben
|
|
Tag
|
|
geschlossenen
|
|
Verträgen
|
|
rechtlich
|
|
selbständige
|
|
Handlungen
|
|
vorliegen
|
|
betrifft
|
|
nur
|
|
Wiederanlagefälle
|
|
auch
|
|
Fälle
|
|
.
|
|
Möglichkeit
|
|
natürlichen
|
|
Handlungseinheit
|
|
"
|
|
erscheint
|
|
hier
|
|
zumindest
|
|
fernliegend
|
|
.
|
|
hat
|
|
Strafkammer
|
|
aber
|
|
verkannt
|
|
Tateinheit
|
|
vorliegt
|
|
Werkzeug
|
|
abgeschlossene
|
|
betrügerische
|
|
Verträge
|
|
nur
|
|
Auftrag
|
|
Täters
|
|
beruhen
|
|
NStZ
|
|
m.w
|
|
.
|
|
.
|
|
.
|
|
So
|
|
verhält
|
|
konkret
|
|
Senat
|
|
feststellbaren
|
|
Umfang
|
|
hier
|
|
.
|
|
näher
|
|
aufgeschlüsselt
|
|
wäre
|
|
hatte
|
|
Angeklagte
|
|
nämlich
|
|
"
|
|
immer
|
|
"
|
|
selbst
|
|
Kontakt
|
|
Geschädigten
|
|
bediente
|
|
auch
|
|
gutgläubigen
|
|
Vermittlers
|
|
S.
|
|
klagte
|
|
"
|
|
Anschein
|
|
seriöser
|
|
Geldanlagen
|
|
aufrecht
|
|
erhielt
|
|
.
|
|
4
|
|
.
|
|
führt
|
|
Aufhebung
|
|
Urteils
|
|
insgesamt
|
|
noch
|
|
ankäme
|
|
.
|
|
Senat
|
|
weist
|
|
jedoch
|
|
Ausführungen
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|
Generalbundesanwalts
|
|
Antrag
|
|
15
|
|
.
|
|
Mai
|
|
etwa
|
|
Unklarheiten
|
|
Umfang
|
|
Eröffnungsbeschlusses
|
|
notwendigen
|
|
Prüfung
|
|
Strafkammer
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|
angewendeten
|
|
Reihe
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|
Taten
|
|
aber
|
|
noch
|
|
geltenden
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|
§
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|
Abs.
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|
StGB
|
|
Wahl
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|
Schluckebier
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|
Boetticher
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